
यहाँ प्रस्तुत है एक और अनसुनी और चमत्कारी धार्मिक कहानी,
🔱 कथा: “काल भैरव की रहस्यमयी लीला”
कालभैरव की अनसुनी कथा
Meta Description: जानिए भगवान काल भैरव की एक अनसुनी और चमत्कारी कथा — कैसे उन्होंने समय और मृत्यु को भी अपने वश में कर लिया।
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🕉️ प्रस्तावना
सनातन धर्म के देवताओं में एक विशेष स्थान रखने वाले भगवान कालभैरव को समय के स्वामी, मृत्यु के नियंत्रक और अधर्म का नाश करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। शिव के रौद्र स्वरूप में माने जाने वाले कालभैरव से जुड़ी अनेक कहानियाँ हैं, लेकिन यह जो आप पढ़ने जा रहे हैं — यह कथा एक रहस्य और चमत्कार से भरी हुई है, जिसे कम ही लोग जानते हैं।
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🪔 अध्याय 1: काशी का रहस्य
काशी (वर्तमान वाराणसी) एक ऐसा नगर है जिसे स्वयं महादेव ने अपनी प्रिय नगरी घोषित किया है। मान्यता है कि यह शहर कभी भी प्रलय में नहीं डूबेगा क्योंकि शिव स्वयं यहाँ निवास करते हैं। परंतु काशी के इस शांति में उस समय एक तूफान उठा, जब तंत्र के पथभ्रष्ट साधक काशी में प्रवेश कर गए।
ये साधक गुप्त तांत्रिक विद्या के माध्यम से मृत्यु को जीतने और अमरता प्राप्त करने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने काशी की दिव्यता को खंडित करना शुरू कर दिया। तपोबल से रहित और केवल स्वार्थवश साधना करने वाले ये लोग नगरवासियों को कष्ट देने लगे।
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🔥 अध्याय 2: शिव का आह्वान और कालभैरव का प्रकट होना
काशी के संतों और ब्राह्मणों ने महादेव से प्रार्थना की। तब शिव ने अपने रौद्र स्वरूप से एक अग्निकुंड से कालभैरव को उत्पन्न किया, जो त्रिशूल, कपाल और कुत्ते के साथ प्रकट हुए।
उनकी आंखों से आग की ज्वाला निकल रही थी। केश बिखरे हुए, गले में नरमुंडों की माला, और मुख में भय का ऐसा भाव था कि पाप भी थर्राने लगे।
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⚔️ अध्याय 3: तांत्रिकों का अंत और कालभैरव की चमत्कारी लीला
कालभैरव ने पथभ्रष्ट तांत्रिकों को चेतावनी दी परंतु उन्होंने उसका उपहास किया। तब कालभैरव ने एक भयंकर नृत्य आरंभ किया जिसे “कालनृत्य” कहा गया।
उनके प्रत्येक चरणों से आग की लपटें निकलने लगीं। तांत्रिकों ने अपना सारा बल लगा दिया, लेकिन कोई भी कालभैरव के एक वार को सह नहीं सका।
उनके त्रिशूल से निकली चिंगारियाँ हवा में ही मंत्रों को भस्म करने लगीं। एक ही रात में कालभैरव ने पूरे क्षेत्र को पवित्र कर दिया।
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🔒 अध्याय 4: समय के स्वामी
यह घटना इतनी प्रभावशाली थी कि समय देवता स्वयं कालभैरव के सामने प्रकट हुए। उन्होंने कहा, “हे प्रभु! मैं समय हूँ, परंतु आज आपके रौद्र रूप ने मुझे भी भयभीत कर दिया।”
तब कालभैरव ने उत्तर दिया —
“मैं वही समय हूँ जो तुम्हें भी खाता है। जब अधर्म बढ़ता है, तो मैं केवल विनाश नहीं, संहार करता हूँ।”
उस दिन से कालभैरव को ‘समय का स्वामी’ भी कहा जाने लगा। यह वही कारण है कि कालभैरव के मंदिरों में घड़ी नहीं लगाई जाती, क्योंकि वहाँ समय का कोई बंधन नहीं होता।
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📿 अध्याय 5: कालभैरव का सेवक – श्वान
भगवान काल भैरव के साथ जो कुत्ता रहता है, वह कोई सामान्य पशु नहीं है। यह धर्म का प्रतीक है — जो हर समय कालभैरव के आदेश पर कार्य करता है। जब कोई पापी मृत्यु के पश्चात यमलोक में नहीं पहुंचता, तब कालभैरव का यह सेवक उसकी आत्मा को पकड़ कर लाता है।
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💠 अध्याय 6: आज भी जीवित है कालभैरव की शक्ति
वाराणसी में स्थित काल भैरव मंदिर में आज भी रात्रि को अद्भुत घटनाएँ घटित होती हैं। कई भक्तों का कहना है कि उन्होंने मंदिर के पास “काले कुत्ते की आंखों में अग्नि” देखी है।
कुछ का यह भी कहना है कि जब उन्होंने सच्चे मन से प्रार्थना की, तो समय की उलझनें सुलझ गईं, कोर्ट केस समाप्त हुए और मृत्युभय समाप्त हो गया।
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🌟 अध्याय 7: भक्त की परीक्षा
एक बार काशी में ‘जगदंबा नामक एक वृद्धा’ रहती थी। उसका पुत्र मृत्युशैया पर था। वृद्धा ने कालभैरव के मंदिर में जाकर 7 रात्रियाँ उपवास रखा और कहा —
“हे प्रभु! आप तो समय के भी मालिक हो, मेरे बेटे की आयु बढ़ा दो।”
रात के अंतिम पहर में एक कुत्ता उसके द्वार पर आया और तीन बार भौंका।
वृद्धा ने उसे श्रद्धा से भोजन कराया।
अगली सुबह जब वृद्धा घर लौटी तो देखा —
उसका पुत्र स्वस्थ होकर उठा हुआ था।
यह घटना आज भी काशी के पुराने भक्तों द्वारा सुनाई जाती है।
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🌼 निष्कर्ष: कालभैरव की शक्ति का संदेश
भगवान काल भैरव की कथा केवल एक रौद्र रूप नहीं, बल्कि धर्म, समय, मृत्यु और न्याय का संदेश है। वे हमें सिखाते हैं कि जब धर्म संकट में होता है, तो ईश्वर केवल प्रेम नहीं, संहार का रूप भी धारण करते हैं।
जो भी सच्चे मन से कालभैरव की उपासना करता है —
उसे मृत्यु भी छू नहीं सकती।
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